विश्व हिंदी दिवस पर सभी साथियों को बधाई।
लोहिया की एक टिप्पणी याद आ रही हैं जो आपलोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ।
भाषा से देश के सभी मसलों का सम्बन्ध है | किस जबान में सरकार का काम चलता है, इससे समाजवाद तो छोड़ ही दो प्रजातंत्र भी छोडो, इमानदारी और बईमानी का सवाल तक जुड़ा हुआ है | यदि सरकारी और सार्वजनिक काम ऐसी भाषा में चलाये जाएँ जिसे देश के करोड़ों आदमी न समझ सकें तो होगा केवल एक प्रकार का जादू टोना| जिस किसी देश में जादू, टोना-टोटका चलता है वहां क्या होता है ?
जिन लोगों के बारे में मशहूर हो जाता है कि वे जादू वगैरह से बिमारियां आदि अच्छी कर सकते हैं उनकी बन आती है | लाखों-करोड़ों उनके फंदे में फंसे रहते हैं | ठीक ऐसे ही जबान का मसला है | जिस जबान को करोड़ों लोग समझ नहीं पाते, उनके बारे में यही समझते हैं कि यह कोई गुप्त विद्दा है जिसे थोड़े लोग ही जान सकते हैं | ऐसी जबान में जितना चाहे झूठ बोलिए, धोखा कीजिये, सब चलता रहेगा, क्यूंकि लोग समझेंगे ही नहीं |