न्यायपालिका का घिनौना चेहरा…
बॉलीवुड सहित समाज का ऐसा शायद ही कोई संस्थान बचा है जो एक महिला को अपनी अस्मत देने को मजबूर नहीं करता हो, जिस संस्थान से एक हाईकोर्ट जज या सुप्रीम कोर्ट जज को संसद में महाभियोग लाने के अलावा हटाया ही नहीं जा सकता है…
ऐसे जज अगर बलात्कार भी कर दें तो जमानत होकर फिर से न्याय की कुर्सी पर बैठ जाएँगे, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार शायद ही किसी से छुपा हुआ है, असीमित शक्तियों के कारण वह किसी महिला को शिकार आसानी से बना सकता है…
हाईकोर्ट सबसे अंधेरे वाली जगह मानी जाती है जहाँ कभी यह नहीं बताया जाता है कि किसी सेशन जज या मजिस्ट्रेट को नौकरी से क्यों निकाला गया…इसी डर के चलते…
प्रमाण के साथ कह रहा हूँ कि राजस्थान में विशाखा गाइडलाइंस या POSH एक्ट की सबसे ज़्यादा धज्जियाँ सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट में ही उड़ाई जा रही है…
RTI की सूचना के अनुसार राजस्थान का एक भी सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट महिलाओं के पक्ष में बने इस POSH एक्ट की पूर्ण पालना नहीं कर रहा है…
दुर्भाग्य से इस क़ानून में प्रावधान है कि अगर हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट पालना नहीं करें तो ज़िला कलेक्टर इन पर कार्रवाई करेगा, अब आप ही बताईए कलेक्टर की क्या औक़ात…
मुझ जैसा कोई वकील सच बोलता है तो उसका दमन करने के लिए भ्रष्टाचारी मिलकर हमला करते हैं…